सफलता के चरम शिखर पर पहुंचने के दौरान यदि व्यक्ति लड़खड़ाता है तब उसे सहयोगी किस तरह सँभालते हैं?
चरम किसी भी स्थिति में खराब ही होता है, फिर चाहे वो सफलता हो या असफलता। दोनों ही परिस्थितियों में धैर्य से काम लेना चाहिए। सफलता में अति उत्साहित नहीं होना चाहिए और असफलता में निराश भी नहीं होना चाहिए परन्तु लोग ऐसा करते नहीं। सफलता के चरम शिखर पहुँचने के दौरान लोग लड़खड़ाने लगते हैं। इस दौरान उसके सहयोगी विषम परिस्थितियों में उसके साथ रहने का विश्वास देकर उसका आत्मबल बनाए रखने का भरसक प्रयास करते हैं। स्वयं आगे आकर सुरक्षा कवच बनकर उसके पौरुष की प्रशंसा करते हैं। उसके लड़खड़ाने का कारण ढूँढ़ते हैं और उन कारणों का समाधन करने के लिए सहयोगी अपनी पूरी शक्ति लगा देते हैं। उसकी पिछली असफलताओं को भूलने में मदद करते हैं और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। आत्मीयता से पूर्ण रूपेण सहयोग करते हैं।